Sunday, August 2, 2015

बहुमत में संवैधानिक मर्यादा


संविधान स्पेस शटल की तरह है।  जिसके अंदर शटल यात्री अंतरिक्ष में  काम करते हुए सुरक्षित रहते है। स्पेश शटल से  बाहर उनके जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। स्पेश शटल यात्री शटल से बाहर आकर जब यान की मरम्मत  जैसे कार्य करता है तो भी वह  शटल से जुड़ा रहता है।  
संविधान एक तपस्वी, चमत्कारी  साधू  जैसा है जो चूहे को बिल्ली , बिल्ली को कुत्ता , कुत्ते को शेर बना देता है।  संविधान का उलंघ्घन करने का जो  दुस्साहस करता है तो उसे यही संविधान शेर को फिर चूहा बना देता है। अग्नि वायु , जल , आकाश , पृथ्वी जैसे पांच  तत्वों के साथ ,संविधान की मर्यादा का छटा तत्व भी हम सभी के अस्तित्व के लिए जरूरी है। इन दिनों बहुमत के मद में कुछ नेता कभी कभी  संविधान की मर्यादा का उलघ्घन करते से नजर जाते है। ऐसा लगता है जैसे बहुमत के मद में मदमस्त हो होश खो बैठे हों। बहुमत की अधिकता में वो अच्छी बुरी बातों का अंतर ही भूल जाते है।  ऐसे में यह कहना  ठीक ही है -
 कनक कनक ते सौ गुनी माधकता अधिकायई
 खाय बौराय नर पाय बौराय।।

आइये इस स्वतंत्रता दिवश पर हम संविधान की रक्षा मर्यादा की शपथ लें।  ईश्वर हमें मय से दूर रखते हुए संविधान का सम्मान करते हुए आगे बढ़ने की शक्ति दे।